सामना संवाददाता / मुंबई
जो अधिकारी किसानों के विरोध में काम करता है, उसकी थाली में आगे कभी चावल न डालें। उसकी थाली में हम मिट्टी और लहसुन का तड़का लागाएंगे। लाखों-करोड़ों रुपए का वेतन लेना है, लेकिन किसानों के आवेदन का निपटारा नहीं करना है। मंत्रालय का यह आधुनिक वाल्मीक कराड कौन है? इस तरह का सवाल भाजपा के वरिष्ठ सदस्य सुधीर मुनगंटीवार ने कल विधानसभा में सरकार से पूछा।
चंद्रपुर जिले में धान और कपास की फसलों पर कीटों के प्रकोप से हुए नुकसान की भरपाई के संदर्भ में सुधीर मुनगंटीवार ने प्रश्नोत्तर काल में उठाया था। कृषि राज्य मंत्री आशीष जायसवाल द्वारा दिए गए लिखित जवाब पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों और सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान मुनगंटीवार ने कृषि विभाग के अधिकारियों की खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि सचिवों द्वारा दी गई जानकारी पर भरोसा न करें। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी है, यह हमें न बताएं। सचिवालय को मंत्रालय बना दिया गया है। राज्य सरकार एक तरफ सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर २ लाख ९० हजार करोड़ रुपए खर्च करती है, पर दूसरी तरफ किसानों की मदत करते समय हाथ पीछे क्यों खींचती है? इस तरह के सवाल उन्होंने तीखे अंदाज में पूछा। सुधीर मुनगंटीवार के हमले के बाद राज्य मंत्री जायसवाल ने धान उत्पादक किसानों की मदत का प्रस्ताव मंत्रिमंडल के सामने रखने का आश्वासन देकर खुद को बचाने की कोशिश की।