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हिजाब पर ही बैन क्यों?  …तिलक और बिंदी पर क्यों नहीं …सुप्रीम कोर्ट ने चेंबूर के कॉलेज के आदेश पर जताई नाराजगी

१८ नवंबर तक के लिए कॉलेज के परिपत्र को रोका

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
चेंबूर के निजी कॉलेज में हिजाब बैन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि लड़कियों के पहनावे पर पाबंदी लगाकर, कैसा सशक्तीकरण कर रहे हैं। लड़कियां क्या पहनना चाहती हैं ये उन पर छोड़ देना चाहिए। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के इतने सालों बाद भी लड़कियों के पहनावे पर इस तरह के बैन की बात कही जा रही है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या बिंदी और तिलक लगाने वाली लड़कियों पर भी बैन लगाया जाएगा? चेंबूर के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने हिजाब, नकाब, बुर्का, स्कार्फ, टोपी पहनने पर बैन लगाया था। इसके खिलाफ ९ लड़कियों ने पहले बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
दरअसल, यह बैन केवल हिजाब पहनने पर नहीं था। ये नकाब, बुर्का, स्कार्फ, कैप पहनने पर भी था। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच ने एक वकील की दलीलों पर गौर किया कि आज से परीक्षा शुरू हो रही है और अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को ‘ड्रेस कोड’ पर निर्देशों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जैनब अब्दुल कय्यूम समेत याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ शुरू हो रहे हैं। इस पर सीजेआई ने कल ही कह दिया था कि इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।

 

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