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डिग्गीकर को डच्चू क्यों? …मनपा की थी ‘माल’बार खाने की मंशा …बेस्ट महाप्रबंधक बन गए थे राह का रोड़ा

रामदिनेश यादव / मुंबई
बेस्ट विभाग के महाप्रबंधक रहे अनिल डिग्गीकर को अचानक हटाकर मंत्रालय में दिव्यांग कल्याण विभाग में भेज दिया गया है, जिसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। ईमानदार और तेज तर्रार अधिकारी अनिल डिग्गीकर कई महत्वपूर्ण विभागों में काम कर चुके हैं और बेहतर परिणाम दिया है, लेकिन बेस्ट में वे क्यों सफल नहीं हो पाए, जबकि कुछ सालों पहले वे मनपा में अतिरिक्त आयुक्त पद पर रह चुके हैं। इसके पीछे कुछ लोग कुर्ला में बेस्ट की घटना का हवाला दे रहे हैं लेकिन सूत्रों की माने तो डिग्गीकर बेस्ट की जमीनें बेचने के खिलाफ थे।
बिल्डरों की झोली में वे बेस्ट की मालाबार हिल की जमीन नहीं देना चाहते थे, जिसकी वजह से उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है।
बेस्ट के सूत्रों की मानें तो मालाबार हिल में बेस्ट की जमीन बिल्डरों की झोली में डालने के लिए मनपा आयुक्त ने योजना बनाई थी। इसके अलावा मनपा मुंबई में दो जगह एक तो सीएसएमटी के पास छत्रपति शिवाजी महाराज मछली मार्वेâट की जमीन तो दूसरी वर्ली में डाम्बर प्लांट की जगह ३० साल के लिए विभिन्न उद्देश्य के लिए बिल्डरों को दे रही है। इसके लिए टेंडर निकाले गए हैं। जिनमें सबसे कीमती जगह, मालाबार हिल के पास बेस्ट डिपो का भूखंड है। कुल ५६२३ वर्ग मीटर भूखंड में से २४०० वर्ग मीटर भूखंड को उपयोग में नहीं होने का कारण बताकर बिल्डरों को देने की योजना थी। इसके टेंडर भी जारी हुए लेकिन इसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी जमकर विरोध था।

बिल्डरों की झोली में जमीन डालने के पक्ष में नहीं थे अनिल डिग्गीकर
सूत्रों के अनुसार खुद बेस्ट महाप्रबंधक डिग्गीकर भी यह जमीन बिल्डरों की झोली में डालने के पक्ष में नहीं थे। वे इससे जुड़ी फाइल पर हस्ताक्षर करने के पक्ष में नहीं थे। जबकि शिंदे सरकार विधानसभा चुनाव से पहले तीनों भूखंड को बेचकर फ्री होना चाहती थी लेकिन डिग्गीकर के असहयोग और सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते टेंडर को लेकर विवाद बढ़ गया। मालाबार हिल में मनपा के बेस्ट रिसीविंग स्टेशन वाले प्लाट की प्रस्तावित नीलामी का स्थानीय निवासियों ने विरोध किया है। उन्होंने मनपा आयुक्त को औपचारिक रूप से अपनी आपत्तियां भेजी हैं और इस नीलामी की निविदा रद्द करने की मांग की है।

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