केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रयागराज के महाकुंभ में गंगा मैया का जल मलमूत्र कोलीफॉर्म के कारण स्नान के लिए सुरक्षित नहीं है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि श्रद्धालुओं की सेहत को खतरा हो सकता है। इससे कई रोग पैदा हो सकते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उक्त रिपोर्ट को नकारते हुए कह रहे हैं कि संगम का पानी न केवल स्नान, अपितु पीने के उपयुक्त भी है। चाहे जो भी हो, मगर सच्चाई अपनी जगह है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल के नमूने की जांच के उपरांत रिपोर्ट सौंपी है, जो केंद्र सरकार के अधीन में है। किसी विपक्ष के नेता या विदेश से तो यह रिपोर्ट नहीं आई है। जगजाहिर है कि केंद्र व उत्तर प्रदेश में दोनों जगह एक ही दल-बल की सरकार है। आजकल हर सच्चाई को नकारने का शगल बन गया है। कोई आंदोलन हो या हादसा हर एक में राजनीति घुसेड़ते हुए या तो साजिश की बूं करार देते हैं या विदेशी हाथ। राजनीति में सच्चाई को स्वीकार करने की अपेक्षा की जाती है, मगर विडंबना की बात है कि छवि के चक्कर में सच्चाई को दबाने का कुप्रयास किया जाता है। यही कुछ महाकुंभ में गंगा मैया के जल के साथ हो रहा है। रिपोर्ट को स्वीकारते हुए गंगा मैया का प्रदूषण दूर करने का प्रयास होना चाहिए न कि श्रद्धालुओं की सेहत के साथ खिलवाड़। श्रद्धालु तो आस्था व श्रद्धा से अभिभूत होकर स्नान के साथ आचमन भी करेगा, मगर बाद में रोगग्रस्त होने पर पीड़ा भोगने के साथ जेब भी तो कटेगी, सो अलग। अपनी छवि व वाहवाही लूटने के चक्कर में श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा के साथ चोट नहीं होना चाहिए।
-हेमा हरि उपाध्याय ‘अक्षत’,
खाचरोद, उज्जैन