मुख्यपृष्ठनए समाचारविश्वास प्रस्ताव पर क्यों नहीं हुई चर्चा? ... छीन नहीं सकते बोलने...

विश्वास प्रस्ताव पर क्यों नहीं हुई चर्चा? … छीन नहीं सकते बोलने का अधिकार …अंबादास दानवे

सामना संवाददाता / मुंबई
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा कि विश्वास प्रस्ताव सदन में पेश किए जाने के बाद उस पर चर्चा होना आवश्यक था। सभापति को चर्चा के लिए विरोधी दलों को आमंत्रित करना चाहिए था। हालांकि, उस पर चर्चा नहीं हुई। सदन के अधिकारी भी इसके लिए दोषी हैं। उन्हें भी नियमों का खुलासा करना चाहिए। यह सदन का अपमान है। सत्ताधारी दल को अहंकार हो गया है। क्या विरोधी दल को बोलने का अधिकार नहीं है?
उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल के सदस्यों द्वारा सबसे ज्यादा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए जाते हैं। सत्ताधारी दल के सदस्य प्रश्न पूछते हैं और मंत्री उन्हीं को उत्तर देते हैं। सदन की कार्यवाही को जानबूझकर एकतरफा ढंग से चलाने का प्रयास सभापति और उपसभापति कर रहे हैं। यदि प्रस्ताव के बारे में संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो हम सदन का बहिष्कार करेंगे। इस तरह की चेतावनी अंबादास दानवे ने दी। सदस्य भाई जगताप ने कहा कि जब कोई प्रस्ताव पेश किया जाता है तो उस पर विरोधी दल को भी बोलने का मौका दिया जाना चाहिए। हम संख्या में कम हैं, फिर भी हमें बोलने का अधिकार है। हमारे बोलने के अधिकार को आप छीन नहीं सकते। आज के विश्वास प्रस्ताव पर मत व्यक्त करने का अधिकार है। उसे हमें करने दें। इस तरह की मांग भाई जगताप ने की।

…तो कामकाज का करेंगे बहिष्कार!
सभापति के एकतरफा फैसले को लेकर विरोधी दलों के सदस्य हाथ में कल काला रिबन बांधकर कामकाज में भाग लेंगे। हालांकि, यदि उपसभापति नीलम गोर्‍हे पीठासीन अधिकारी के रूप में कामकाज संभालेंगी तो विरोधी दल कल कामकाज का बहिष्कार करेगा। इस तरह की चेतावनी भी नेता अंबादास दानवे ने दी है।

सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
विधान परिषद के सभापति राम शिंदे के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के नेतृत्व में महाविकास आघाडी ने कल अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे सदन की कार्यवाही चलाते समय पक्षपातपूर्ण और एकतरफा तरीके से काम कर रहे हैं। सदन की कार्यवाही नियमों के अनुसार नहीं हो रही है। विरोधी दल और विरोधी दल के नेताओं के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है, जिसके कारण उन्होंने सदन का विश्वास खो दिया है इसलिए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की गई है। अंबादास दानवे ने सभापति कार्यालय को यह पत्र दिया है। पत्र पर महाविकास आघाडी के १४ सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।

अन्य समाचार