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देशी कंपनियों को क्यों ले जाया गया दावोस? … आदित्य ठाकरे का सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य और देश में होनेवाले किसी तरह के भी निवेश का स्वागत है। पर दावोस दौरे में जिन कंपनियों के साथ समझौता किया गया है, उसे देखते हुए सवाल खड़ा होता है कि देश और महाराष्ट्र की कंपनियों के साथ सामंजस्य समझौता करने के लिए दावोस जाने की क्या जरूरत थी? इस तरह का सवाल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने किया है।
दावोस प्रवास के समय का सदुपयोग अंतर्राष्ट्रीय नेता, कंपनियों और वहां के उद्यमियों से संवाद साधने में किया जा सकता था। दावोस वैश्विक स्तर पर संबंध बनाने के लिए उचित स्थान है, जहां कई प्रतिभाशाली व्यक्ति और विभिन्न संगठन एक साथ आते हैं, ऐसे स्थान पर महाराष्ट्र के हित के लिए दुनिया से संवाद साधने के बजाय अपने राज्य और देश की ही कंपनियों से निवेश कराने तक सीमित रहने में क्या लाभ है? अन्य कंपनियों से संपर्क करें। वैश्विक घटनाक्रमों का अनुमान लगाने के लिए वहां के सर्वोत्तम सेशन्स में उपस्थित रहें। ऐसा आदित्य ठाकरे ने कहा।
‘मैग्नेटिक महाराष्ट्र’ कार्यक्रम क्यों नहीं?
आदित्य ठाकरे ने कहा कि मैग्नेटिक महाराष्ट्र कार्यक्रम महाराष्ट्र में ही क्यों नहीं हो सका। वह वर्ष २०२२ के मध्य के बाद से हुआ ही नहीं है। यह सामंजस्य समझौता महाराष्ट्र में ही आयोजित करके वैश्विक कंपनियों को अपने पास आमंत्रित करना उचित होता। मुख्यमंत्री ऐसा सामंजस्य समझौता अपने राज्य में आयोजित करके दुनिया से संपर्क साधें। वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम के साथ चर्चा करके महाराष्ट्र में ‘समर दावोस’ अथवा ‘मिड इयर दावोस’ आयोजित करना भी एक दूरदृष्टि भरा कदम साबित होगा।

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