योगेश कुमार सोनी
पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन दिनों हलचल तेज हो गई है। एक तरफ बीजेपी अपनी पार्टी के नेता को बाहर कर रही है तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी बीजेपी सांसद से मुलाकात कर रही हैं। बीते बुधवार को बीजेपी ने अभिजीत दास उर्फ बॉबी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी के खिलाफ डायमंड हार्बर से चुनाव लड़ा था। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनंत राय महाराज की मुलाकात से भी बंगाल की राजनीति गरमाई हुई है। ममता बनर्जी ने अनंत राय से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्होंने भी गर्मजोशी के साथ बंगाल की सीएम का स्वागत किया। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए कहा जा रहा है कि बंगाल बीजेपी में बिखराव की शुरुआत हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, जब भाजपा की केंद्रीय तथ्य-खोजी टीम चुनाव बाद की हिंसा से प्रभावित डायमंड हार्बर के विभिन्न इलाकों का दौरा कर रही थी, तो उन्हें स्थानीय कार्यकर्ताओं के एक वर्ग के विरोध का सामना करना पड़ा था। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पार्टी नेतृत्व ने पार्टी कार्यकर्ताओं की दुर्दशा की उपेक्षा की है जो ४ जून को मतगणना प्रक्रिया समाप्त होने के बाद से बेघर हो गए हैं। बीजेपी राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा कि हमें पता चला है कि प्रदर्शनकारी भी दास के करीबी विश्वासपात्र थे, इसलिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उन्हें अगले सात दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है। आलाकमान के अगले आदेश तक पार्टी से उनकी सदस्यता भी अस्थायी रूप से समाप्त कर दी गई है। दरअसल, मामला यह है कि झूठ व तानाशाही की वजह से बीजेपी की छवि हर रोज पतन की ओर जा रही है। मुद्दा चुनावों में जीत या हार का नहीं होता, व्यवहार का होता है। स्पष्ट है कि जिसको जनता चुनेगी वह सीट पर बैठेगा। देश में आज भी तमाम ऐसे छोटे-बड़े नेता हैं जो हारने के बाद अपना व्यवहार इस तरह का रखते हैं कि समाज उनका सम्मान चुने हुए जनप्रतिनिधि की तरह ही करता है। दरअसल, आरोप लगाकर या झूठ बोलकर थोड़ी देर के लिए आप जनता के मन में अपने प्रति भावुकता पैदा कर सकते हो लेकिन हकीकत छुपाए नहीं छुपती। यदि बीजेपी का इस तरह की शैली से उसका सम्मान लगातार कम हो रहा है, उसे यह समझना होगा कि चुनाव को चुनाव के तरीके से ही ले तो बेहतर है क्योंकि सोशल मीडिया के दौर में अब सबको सब पता रहता है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी किसी भी स्थिति में पश्चिम बंगाल जीतने के लिए साम, दाम, दंड, भेद का प्रयोग करते हुए कोई मौका नही छोड़ती। किसी भी पार्टी में बेचैनी पैदा करने में बीजेपी को महारथ हासिल है, लेकिन जो बीजेपी दूसरे दलों के साथ करती थी अब वो सभी बीजेपी के साथ कर रहे हैं।