सामना संवाददाता / मुंबई
आगामी वर्ष में अप्रैल के बाद स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव होने की संभावना है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने इन चुनावों की तैयरियां शुरू कर दी हैं। मुंबई सहित १४ महानगरपालिकाओं में चुनाव के लिए हम पूरी ताकत से उतरेंगे, ऐसा संकल्प शिवसेना नेता व सांसद संजय राऊत ने व्यक्त किया। संजय राऊत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चुनाव कभी भी हो, शिवसेना पूरी ताकत से तैयार है। तीन साल से चुनावों को टालकर रखा गया है, क्योंकि हारने का डर था। मुंबई जैसे शहर में पिछले तीन साल से जनता का महापौर नहीं दिया गया। अब उन्हें विश्वास हो गया है कि विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी कर जीत सकते हैं इसलिए वे महानगरपालिका के चुनाव की तैयारी में हैं।
संजय राऊत ने यह भी कहा कि हमारे कार्यकर्ता और मतदाता यह सुनिश्चित करेंगे कि मुंबई किसकी है। यह चुनाव हमारी अस्मिता की लड़ाई है।
मंत्रिमंडल विस्तार में देरी को लेकर संजय राऊत ने शिंदे गुट पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि शिंदे की नाराजगी का कोई मतलब नहीं। यह पूरा विषय दिल्ली के लिए खत्म हो चुका है। ये सभी कठपुतलियां हैं, जो बगावत का साहस नहीं रखते हैं। महाराष्ट्र की रक्षा के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना पूरी तरह से तैयार है। अगर जरूरत पड़ी तो पहला बलिदान मैं दूंगा।
संजय राऊत ने स्पष्ट किया कि स्थानीय स्वराज्य संस्था चुनाव आमतौर पर गठबंधन में नहीं लड़े जाते। चाहे ग्राम पंचायत हो, नगरपालिका हो या महानगरपालिका ये चुनाव अलग तरीके के होते हैं। इन चुनावों में स्वतंत्र रूप से लड़कर कार्यकर्ताओं को मजबूती देनी चाहिए। यही ताकत लोकसभा और विधानसभा चुनावों में गठबंधन के लिए उपयोगी होती है।
‘वन इलेक्शन’लोकतंत्र व स्वतंत्रता को कमजोर करने की साजिश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रस्तावित ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक देश में लोकतंत्र और स्वतंत्रता को कमजोर करने की मोदी सरकार की योजनाओं का एक हिस्सा बताते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता और सांसद संजय राऊत ने तीखा हमला किया है। संजय राऊत ने कहा कि भारत में संघीय ढांचा है। हर राज्य की सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग हैं। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में आप लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं करा सकते। राज्य और राष्ट्रीय मुद्दे अलग-अलग होते हैं एवं जनता को इन्हें सोच-समझकर चुनने का अधिकार है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह कानून २०२९ से लागू करने की बात हो रही है तब तक मोदी पीएम रहेंगे क्या?
संजय राऊत ने यह भी कहा कि जिन्होंने संविधान और संघीय ढांचे पर हमला किया, उन्हें इतिहास ने माफ नहीं किया। दुनिया में जितने भी शासक तानाशाह बने, उनका अंत बुरा हुआ है। चाहे हिटलर हो या सद्दाम हुसैन, सभी का अंत जनता के हाथों हुआ है। यही लोकतंत्र की ताकत है। राऊत ने बैलट पेपर पर चुनाव कराने की चुनौती देते हुए कहा कि अगर बैलट पेपर से चुनाव हुए तो मतगणना शुरू होते ही आधे भाजपा नेता देश छोड़कर भाग जाएंगे। संजय राऊत ने कहा कि आज आप मुंबई मनपा के चुनाव नहीं करा सके। हारने के डर से महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव नहीं कराए गए। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक लाकर लोकतंत्र पर हमला किया जा रहा है। उनके पास बहुमत है, लेकिन क्या मोदी २०२९ तक प्रधानमंत्री रहेंगे? यह बड़ा सवाल है। बता दें इस विधेयक को हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य देश में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को एक साथ कराना है। इसे २०२९ से लागू करने की योजना है।