इन दिनों ‘कलर्स’ पर ‘खतरों के खिलाड़ी’ सीजन १४ की चर्चा जोर-शोर से शुरू है। जून महीने से इस रियलिटी शो के ऑन एयर होने की संभावना है। इस बार करण वीर मेहरा इस शो में एक जांबाज खिलाड़ी होंगे। पूर्व में करण वीर ने ‘सोनी सब’ के शो ‘बीवी और मैं’ में लीड रोल किया, वहीं ‘रागिनी एमएमएस’, ‘मेरे डैड की मारुति’ और ‘बदमाशियां’ जैसी चंद फिल्मों में भी काम किया। ‘कपल ऑफ मिस्टेक्स’, ‘पॉयजन-२’ जैसी वेब सीरीज कर चुके करण के टीवी शो ‘जिद्दी दिल’ में उनका परफॉर्मेंस बेहद पसंद किया गया। पेश हैं, करण वीर मेहरा से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
शो ‘खतरों के खिलाड़ी’ में हिस्सा लेने के लिए क्या आपने ऑडिशन दिया था?
मैंने ऑडिशन तो नहीं दिया, लेकिन फोन पर मुझे इस शो में हिस्सा लेने के लिए कहा गया। इस शो में हिस्सा लेना न सिर्फ प्रतिष्ठा का मुद्दा है, बल्कि शो में जो जांबाज होगा, वही जीतेगा और उसी के सिर पर जीत का ताज होगा।
इस शो में हिस्सा लेने के लिए आपने कैसी तैयारी की है?
बचपन से ही मैं फिटनेस के मामले में बहुत ध्यान देता आया हूं। खान-पान के साथ ही डाइट, वेट कंट्रोल, वर्क आउट मेरी रोजमर्रा की जीवनशैली का हिस्सा बचपन से ही बने हुए हैं। आलम यह है कि बिना वर्क आउट किए बिना रात में नींद तक नहीं आती। इस शो में हिस्सा ले रहा हूं तो अपनी फिटनेस और मेंटल फिटनेस पर और भी ज्यादा ध्यान दूंगा। मेडिटेशन, सहनशक्ति के साथ ही स्टेमिना बढ़ाने की तैयारियों में जुटा हूं। हर स्थिति में मानसिक संतुलन विचलित न हो यह भी इस शो में मेरे लिए चैलेंजिंग रहेगा।
कई बार शो के अलग स्टंट्स में सांप या कीड़े-मकोड़ों को भी कंटेस्टेंट्स को झेलना पड़ता है? क्या आप इसके लिए तैयार हैं?
स्टंट करने हैं मतलब करने हैं। स्टंट्स को परफॉर्म करने का चैनल से पैसा मिलता है। पैसे के बदले सर्विस तो देनी ही पड़ेगी। कीड़े-मकोड़े हों या सांप स्टंट्स करना ही है। इससे व्यक्ति के दिल का डर निकल जाता है। मैं इस स्टंट को भी झेलने को सहर्ष तैयार हूं। जिस काम के लिए आया हूं उसे न करूं तो गलत होगा।
क्या आपको लगता है नायिका प्रधान शोज के कारण पुरुष एक्टरों की मेहनत और परफॉर्मेंस की तरफ दर्शक आकर्षित होते हैं?
इसमें कोई दो राय नहीं कि टीवी पर पूरी तरह से महिलाओं का साम्राज्य है। अधिकतर कहानियां महिलाओं की दुनिया से जुड़ी होती हैं, लेकिन एक स्त्री के विश्व में पुरुष भी तो होता है। अगर सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की कहानी हो तो वो शो लेडीज स्पेशल ही बनकर रह जाएगा इसलिए मैं महिलाओं के साम्राज्य को स्वीकार करता हूं और उनमें एक छोटा-सा स्थान मेरा भी है, यह कहता हूं।
सुना है, आपने अपनी दादी की बात मानकर अपने करण नाम के साथ वीर जोड़ा?
मुझे अपनी दादी से बहुत लगाव है। मेरे दादा का नाम वीर मेहरा था। दादी ने कहा अगर मैं अपने करण नाम के साथ दादा का नाम वीर जोड़ लूं तो हो सकता है मेरा करियर और परवान चढ़े। मैंने इसलिए दादी की बात नहीं स्वीकारी कि मेरा करियर आगे बढ़े, बल्कि मैं अपने दादा और दादी के बहुत करीब रहा हूं। दादा का नाम मैं अपने नाम के साथ जोड़कर गर्व महसूस करता हूं।