तलाक के मामले के चलते अपने पति से अलग रह रही ४० साल की महिला ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दी है। याचिका में महिला ने कहा है कि समय के साथ उसके गर्भधारण करने की संभावना कम हो रही है। महिला ने कहा, `मां बनना मौलिक अधिकार है इसलिए कोर्ट उसके पति को आदेश दे कि वह स्पर्म दे या फिर किसी डोनर से दिलवाए।’
मामला ऐसा है कि २०१९ से यानी कि ५ सालों से वह महिला अपने पति से अलग रह रही है। उसके पति ने उसके खिलाफ कोर्ट में डिवोर्स फाइल कर रखा है। महिला ने कोर्ट को अपने मां बनने की इच्छा के बारे बताया साथ ही कहा कि चूंकि समय बितता जा रहा है, जिससे उसकी गर्भधारण की संभावना भी कम हो रही है। चूंकि मां बनना उसका मौलिक अधिकार है, तो कोर्ट उसके पति को स्पर्म देने का आदेश दे। अगर उसका पति स्पर्म देना नहीं चाहता तो फिर किसी अन्य डोनर से स्पर्म लेने सहमती दे दें, ताकि वह आईवीएफ तरीक से मां बन सके।
कोर्ट सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी टेक्नोलॉजी २०२१ की दलील दी, साथ ही कोर्ट से कहा कि वह गांधीनगर जिला मेडिकल ऑथोरिटी को मुझे मदद करने का निर्देश दें। हाईकोर्ट में उस महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संगीता विसेन ने उनकी पूरी दलील सुनी। जस्टिस ने सवाल किया, ‘पति के साथ तलाक के केस चल रहें हैं, तो क्या वह मदद के लिए राजी होगा।