दीपक तिवारी
विदिशा। सरकार की मंशा है कि सभी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए आम जनता को सहूलियत और अच्छी सुविधाएं मिले, लेकिन इसे जमीनी हकीकत में बदलना टेढ़ी खीर है। सांसद और विधायकों की निधि से करोड़ों के कामों को हरी झंडी देने वाले जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय विभाग के पास ऐसी कोई तकनीकी व्यवस्था नहीं कि इन कामों की निगरानी हो सके। जिससे गुणवत्ता को लेकर आए दिन मीडिया में धमाल मचता है और कुछ दिन कोलाहल के बाद सब शांत हो जाता है।
भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए और निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हर स्तर पर दिशानिर्देश जारी होते हैं, लेकिन असल में इनका पालन कितना होता है, यह आए दिन घटिया निर्माण की सुर्खियों से पता चलता है।
क्षेत्रीय सांसद और विधायकों को अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य करने के लिए हर साल करोड़ों का बजट निधि के रूप में शासन से मिलता है। सांसद और विधायक निर्माण कार्यों के प्रस्ताव जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय के जिला योजना अधिकारी के पास भेज कर उन्हें स्वीकृत कराते हैं। लेकिन इन कार्यों में गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है कि नहीं, इसके लिए विभाग के पास कोई तकनीकी अधिकारी नहीं है।
जिला योजना अधिकारी सांसद और विधायक से कामों की अनुशंसा मिलने पर राशि की स्वीकृति करते हुए निर्माण कार्य संबंधित निकाय को भेज देते हैं। इसके बाद जिला योजना अधिकारी का काम खत्म हो जाता है। सांसद और विधायक के काम गुणवत्तायुक्त हो रहे हैं कि नहीं इसकी जिम्मेदारी संबंधित निर्माण एजेंसी पर डाल दी जाती है।
जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय के पास इन कार्यों की ना तो निरीक्षण रिपोर्ट है और ना अन्य कोई जानकारी। जिला योजना अधिकारी के पास केवल स्वीकृत निर्माण कार्यों की सूची रहती है।
शासन स्तर से तकनीकी अधिकारी नहीं है तैनात
जिला विदिशा के जिला योजना अधिकारी एसआर रैकवार का कहना है कि उनके कार्यालय में सांसद एवं विधायकगणों द्वारा अनुशंसित कार्यों के स्वीकृत निर्माण कार्यों की केवल सूची उपलब्ध रहती है। स्वीकृत निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और निरीक्षण शासन स्तर से इस कार्यालय में कोई भी तकनीकी अधिकारी की नियुक्ति न होने से नहीं किया जाता।