मुख्यपृष्ठनए समाचारविश्व जल दिवस: जल बचत से निवेश की ओर बढ़ते कदम—भरतकुमार सोलंकी

विश्व जल दिवस: जल बचत से निवेश की ओर बढ़ते कदम—भरतकुमार सोलंकी

आवश्यकता आविष्कार की जननी है, लेकिन क्या आवश्यकताओं को सीमित कर हम आविष्कारों को रोक सकते हैं? यह प्रश्न हमें सोचने पर मजबूर करता है। जल संरक्षण के संदर्भ में क्या केवल पानी की ‘बचत’ पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त हैं या हमें इससे आगे बढ़कर जल ‘निवेश’ की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए?
बचत बनाम निवेश : जल प्रबंधन की नई सोच
पानी की बचत का मतलब है कि उसे कुछ समय के लिए रोककर रखना, चाहे वह चार घंटे हो या चार महीने, लेकिन बड़े बांधों और जलाशयों के माध्यम से पानी को लंबे समय तक संरक्षित करना असल में जल में निवेश करना है। भारत में टिहरी बांध, जो 260.5 मीटर ऊंचा है, इसका एक प्रमुख उदाहरण है। यह न केवल बिजली उत्पादन में सहायक है, बल्कि जल संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बचत से आगे : निवेश की आवश्यकता
पिछले कई दशकों से हम जल बचत की बात करते आ रहे हैं, लेकिन क्या इससे हमारी जल समस्याएं पूरी तरह हल हुई है? शायद नहीं, क्योंकि हमने जल निवेश की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। असली लाभ तब होगा, जब हम जल संरक्षण में निवेश करेंगे, जिससे जल की उपलब्धता में वृद्धि होगी और हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकेगी।
भारत में जल निवेश : वर्तमान स्थिति और संभावनाएं
भारत सरकार ने जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए हैं। हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने देश भर में जल स्रोतों की पहली गणना की, जिसमें 24 लाख से अधिक जल स्रोतों की पहचान की गई। यह कदम जल निवेश की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो भविष्य में जल प्रबंधन की नीतियों को सुदृढ़ करेगा।
विश्व जल दिवस पर संकल्प : जल निवेश की ओर बढ़े
इस विश्व जल दिवस पर, हमें जल ‘बचत’ से आगे बढ़कर जल ‘निवेश’ की सोच अपनानी चाहिए। जलाशयों, बांधों और अन्य संरचनाओं में ‘निवेश’ करके हम न केवल अपनी जल आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी जल सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। आइए, हम सभी मिलकर जल ‘निवेश’ का संकल्प लें और एक समृद्ध जल भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं।

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