– १० साल में करीब ३००% बढ़ा आयकर
– कॉर्पोरेट टैक्स में महज ११२% की वृद्धि
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
जीएसटी परिषद की बैठक में हुए पैâसले ने आम आदमी की त्योरियां चढ़ा दी हैं। असल में बैठक तो गत शनिवार को हुई थी, पर अब लोगों को समझ में आ रहा है कि उनके साथ क्या मजाक हुआ है। सरकार ने खाने-पीने की चीजों पर टैक्स में अंतर करके गजब का मजाक किया है। मसलन पुरानी कार बेचने पर अब ९० फीसदी टैक्स देना होगा। सोशल मीडिया पर अब लोग गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि सरकार कई चीजों पर जीएसटी घटाकर उन्हें राहत देगी। पर ऐसा नहीं हुआ। जिन हेल्थ बीमा जैसी चीजों को जीएसटी फ्री करना था, उस फैसले को टाल दिया गया और जीएसटी की दर बढ़ानेवाले फैसले ले लिए गए।
पुरानी कार पर जीएसटी बढ़ा
सरकार ने पुरानी कार बेचने पर अजीबो-गरीब तरीके से जीएसटी बढ़ा दिया गया है। हालांकि, सरकार का कहना है कि इसे १८ फीसदी किया गया है, मगर लोग इसे ९० फीसदी मान रहे हैं। इसकी वजह भी है। मान लीजिए आपने ६ लाख की एक कार खरीदी और कुछ साल बाद आप इसे १ लाख रुपए में बेच रहे हैं तो इसकी मार्जिन पर १८ फीसदी की दर से टैक्स लगेगा, न कि आपको मिली राशि पर यानी आपको ५ लाख रुपए पर टैक्स देना पड़ेगा। इस तरह आपके ९० हजार रुपए तो जीएसटी देने में ही चले जाएंगे और आपकी जेब में आएंगे मात्र १० हजार रुपए।
पॉपकॉर्न के जीएटी में फर्क
सबसे बड़ा मजाक तो पॉपकॉर्न पर अलग-अलग जीएसटी के स्लैब लगाकर किया गया है। साल्टी यानी नमकीन वाले पॉपकॉर्न पर यह पांच फीसदी है। पहले से पैक और लेबल वाला पॉपकॉर्न है तो उस पर १२ फीसदी जीएसटी लगेगा। इसी तरह अगर मीठा वाला पॉपकॉर्न है तो इस पर १८ फीसदी जीएसटी लगेगा। अब यह मजाक नहीं तो और क्या है? लगता है ‘वसूली’ मंत्री पॉपकॉर्न की तरह ही मिडल क्लास को चबा डालना चाहती हैं।
आम आदमी पर इनकम टैक्स की मार!
इस साल १० लाख करोड़ से ज्यादा की हो चुकी है वसूली
आम आदमी को सरकार इनकम टैक्स के नाम पर पहले से ही निचोड़ रही है। पिछले १० सालों में २.६ लाख करोड़ से बढ़ाकर इस साल सरकार ने १० लाख करोड़ की वसूली की है, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स में ४.२५ लाख करोड़ से बढ़ाकर ९.११ लाख करोड़ की वसूली हुई है। मतलब निजी इनकम टैक्स में २९४ फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स में सिर्फ ११२ फीसदी की ग्रोथ हुई है। इससे पता चलता है कि सरकार कॉर्पोरेट के प्रति कितनी नरम है, जबकि आम आदमी का खून चूस लेना चाहती है। लोग सरकार के इस तुगलकी फरमान से इतने नाराज हैं कि ‘एक्स’ पर दाल का जीएसटी रेट ट्रेंड करने लगा। लोगों ने लिखा, अब अगली बारी रेस्टोरेंट में मिलनेवाली दाल की है। दाल प्रâाई पर मिनिमम टैक्स। दाल तड़का पर १२ फीसदी जीएसटी, दाल मखनी पर १८ फीसदी, पनीर बटर मसाला पर २४ फीसदी और बटर चिकन पर २८ फीसदी जीएसटी लगेगा।