सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र परिवहन विभाग ने राज्य के ३८ क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओएस) में कंप्यूटरीकृत ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। इसका उद्देश्य ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को कड़ा करना है, ताकि आवेदक आसानी से टेस्ट पास न कर सके। अधिकारियों ने बताया कि इन नए ट्रैक से मैन्युअल टेस्ट की प्रथा समाप्त हो जाएगी, जिसमें आवेदक को महज ५० से १०० मीटर तक गाड़ी चलाने और सीधी लाइन में रिवर्स करने के लिए कहा जाता था। अब आवेदकों को बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के टेस्ट देना होगा। ट्रैक पर सेंसर, सीसीटीवी और वाहन के अंदर ओवरहेड वैâमरे लगाए जाएंगे, जो आवेदक के प्रदर्शन को रियल टाइम में मापेंगे।
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम चाहते हैं कि टेस्ट में विफल होने वाले आवेदकों का प्रतिशत २५ फीसदी से ३० फीसदी तक पहुंचे, ताकि केवल अच्छे ड्राइवर ही सड़क पर हों। वर्तमान में शहरों में ५ फीसदी से भी कम और ग्रामीण क्षेत्रों में १ फीसदी से २ फीसदी लोग ही टेस्ट में असफल होते हैं। इसके अलावा, परिवहन विभाग ४० स्थानों पर ऑटोमेटेड टेस्ट स्टेशन (एटीएस) स्थापित करने की योजना बना रहा है। २१ आरटीओ कार्यालयों में एटीएस पर काम जल्द ही शुरू होगा। इस परियोजना पर ४०० करोड़ रुपयों का निवेश किया जाएगा।
मुंबई के ४ प्रमुख आरटीओएस– अंधेरी, बोरीवली, मुंबई सेंट्रल और वडाला में रोजाना १,२०० लोग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं। यह कदम भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को कम करने में मदद करेगा।