सामना संवाददाता / लखनऊ
इन दिनों देश में साइबर क्राइम के तहत लोगों को फर्जी कॉल करके पैसे वसूलने का रैकेट तेजी से बढ़ रहा है। इसे डिजिटल कस्टडी भी कहा जाता है। यह
कॉल किसी की जान भी ले सकता है। ऐसा ही एक मामला आगरा से सामने आया है, जहां फर्जी कॉल के तहत एक महिला को अपराधियों ने फंसाने के लिए उसकी बेटी के सेक्स रैकेट में शामिल होने पर जेल में बंद करने की धमकी दी और उससे पैसे वसूलने की कोशिश की, लेकिन यह बात सुनकर महिला की धड़कनें इतनी तेज हो गर्इं कि उसे दिल का दौरा पड़ गया और उसकी मौत हो गई।
आगरा में एक सहायक महिला शिक्षक को साइबर ठगों ने कॉल करके उनकी बेटी के सेक्स स्वैंâडल में फंसने की बात बताई। इसके बाद उन्हें ४ घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और पैसों की मांग की। महिला शिक्षक को इतना गहरा सदमा लगा कि उनकी तबीयत बिगड़ गई और मौत हो गई। आरोपी ने फोन कर कहा कि मैं पुलिस अधिकारी बोल रहा हूं। आपकी बेटी सेक्स स्वैंâडल में पकड़ी गई है। अगर बचाना है तो १ लाख भेजो, जब तक पैâसला नहीं लेते तुम्हे कॉल पर रहना पड़ेगा। किसी को कॉल नहीं कर सकते। ऐसा ही होता है डिजिटल अरेस्ट, जिसमें प्रâॉड करनेवाले आपके सोचने-समझने की शक्ति पर इतना हावी हो जाते हैं कि उनकी बात के अलावा आपको कुछ और नहीं सूझता। आगरा की इस घटना के बाद डिजिटल अरेस्टिंग और साइबर प्रâॉड की काफी चर्चा हो रही है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर यह डिजिटल अरेस्टिंग क्या है और वैâसे साइबर ठग लोगों को सिर्फ एक कॉल की मदद से इतना प्रताड़ित कर देते हैं कि लोग अपनी मेहनत से जोड़ी गई कमाई को यूं ही गवां देते हैं। देश के लगभग हर कोने से इन दिनों साइबर ठगी की वारदाते सामने आ रही हैं, जिसमें बूढ़े और तकनीकि को कम समझने वाले लोगों को ज्यादातर निशाना बनाया जा रहा है।